Tuesday, 17 September 2013




Feeling of true relationship-------

Feeling of true relationship-------



It is universal truth, if u make a relationship  to some one who is very close to you and also you are very close to them- or relationship is be true and based on trust and good understanding, you can feel each other felling and situations while both are not together at same time and same place. I also want to mention that without feeling and honesty, relationship cannot be go on longer.

So I wants to say that to make a relationship is not important, but it's  implantation  in perfect way is important. we must be keep care who is with  your feeling. its implantation is not possible by one side but also try to take steps by our self to make a good relation.

Some one says that never  hate anybody, but I want to say if you make a true relationship, there is no words comes in your mind like "HATE" ---

Feeling of good relationship is very  soft, deep and beautiful, we must need to continue it  and try to give a new definition of relationship.

Rupesh Ray

Sunday, 15 September 2013


कितने स्वतंत्र है हम !

नमस्कार !!!

मेरे प्यारे देश वासियों,
आज देश की अस्वस्थता इतनी तेजी से बढ़ रही है की इसे स्वस्थ करना बहुत कठिन होता जा रहा है, आम जनता भूख ,भय , भ्रस्ताचार और महंगाई के दौर से रोते हुए गुजर रहा है! दंगे (धार्मिक या जातीय ) होना आम बात हो गया है ! जो सरकारें सुशासन और धर्मंनिर्पेछ होने का दावा और वादा करती है उन्ही के राज में सबसे ज्यादा इस प्रकार की बदहाली आई है ! आज का चुनावी एजेंडा सेक्युलर वर्सेज कम्युनल होता जा रहा है, हलाकि आज के दौर में कुछ राज्निकित पार्टियों के द्वारा दिए जा रहे सेक्युलर का परिभाषा को मै नही मानता और उनके अनुसार हम कम्युनल ही है, लेकिन यह देश का दुर्भाग्य है की हमे वो कम्युनल कहते है जिनके कारन दंगे होते है और खुद सेक्युलर कहलातें है.!आज का दिन जब सड़क आम आदमी और बरिष्ठ जन के लिए सुरक्षित नही है और महिलाएं अपने आप को परमपरागत रूप से ठगी और आसहाय पा रही है !गरीब के पास भोजन और घर की महामारी आई हुई है , महिलाएं अपनी सुरक्षा से भाभित है , युवा बेरोजगारी से तबाह है , किसान की बदहाली उसके आत्महत्याएं की संख्या खुद से ही बयां करती है !आम जनता जीवन की अन्य संसाधनो से या तो उपेक्षित है या तो घुस देकर करने के लिए बेवस है ,हमारे देश के प्रधान मंत्री अर्थाशासस्त्री है जिन्हें अनार्थ्सश्र्ती कहने में कोई हिचक नही होती ! देश का आन्तरिक सुरक्षा आतंकबाद और माओबाद चरम पर है तथा सिमा सुरक्षा अपने आप में ही एक प्रशन बना हुआ है !इन सभी बातों का एक समन्वित रूप बनाने से प्रशन यह उठता है की वास्त्व में हम कितने स्वतन्त्र है क्योंकि इन सब के बाद हम मानसिक रूप से भाषा के गुलाम है -- इंग्लिश!!!

क्या पांच वर्षो में एक बार वोट दे देना ही हमारी स्वत्न्र्ताता है ? क्योंकि जिसके लिए हम वोट देते है वे सारी साधन और संसाधान या तो ब्यक्ति बिसेष के लिए होता है या तो बाहुबलियों के लिए ! हमे यह सोचना होगा की हमारे स्वतंत्रा की वस्विकता और सीमा क्या है, क्योंकि मुझे नही लगता है की हमे इस प्रकार की स्वतंत्रता की मान्यता देनी चाहिए जो अपने आप में भी स्वतंत्र न हो !लेकिन मुझे यह लगता है की बिना राजनैतिक बात किये हम इसके बारे में सोच भी नही सकते ! अतः हमे अपनी स्वतंत्रा को स्वतंत्र बनाये रखने के लिए जहाँ राजनातिक परिपेक्ष्य में सत्ता परिवर्तन चाहिए वहीँ मंस्किक परिवर्तन (सोच और समझ ) के लिए अध्यात्म और शारीरिक परिवतन के लिए योग शिक्षा जैसे भारतीय सभ्यत और संस्कृति को मजबूत करना होगा और हमे स्वतंत्रता का एक नया अध्याय लोखना होगा जिसमें ये सारी खामियां बिलुप्त अवस्था में हो !

-- रुपेश राय
आम जनता