Rupesh Ray 'The GOLDEN'
Friday, 12 April 2019
Friday, 15 September 2017
Wednesday, 12 April 2017
Monday, 3 April 2017
Saturday, 21 February 2015
Wednesday, 9 April 2014
झुट, अज्ञानता और धोखाधड़ी का एक अनोखा संगम- केजरिवाल
यह आम धारणा के साथ साथ सास्वत सत्य है कि झुठ बोलना गलत कार्य तो है हि और साथ हि साथ अपराध भि है, लेकिन यह और हि खतरनाक और विश्वन्सक रुप धारन कर लेता है जब यह झुठ अज्ञानता के साथ बोला गया हो लेकिन इस् बात को नकारा नहि जा सकता कि य झुठ सबसे ज्यादा खतरनाक तब हो जाता है जब झुठ ,अज्ञानता के अधार पर हो और मंशा धोखाधड़ी करने का हो... और इस तिनो बातो का सम्म्न्वय सिर्फ निजि स्वार्थ और महत्वकाक्षां की पुर्ति के लिये हो वह भि लाखो करोड़ो लोगो के विस्वास और मजबुरी के उपर हो जेसा कि दिल्लि मे आप सरकार और केजरिवाल के द्वरा किया गया .................................................................रुपेश राय
Monday, 23 September 2013
साम्प्रदापरयिकता वर्सेस धर्मनिरपेक्षता -- और हिंदुत्व
वर्त्तमान समय में एक शब्द की चर्चा सबसे ज्यादा है, "साम्प्रदायिकता" चाहे वो राजनैतिक स्तर की बात हो या सामाजिक स्तर' की !वास्तव में साम्प्रदायिकता शब्द का कोई एक भाव या अर्थ नही है, जैसा की आज कल चर्चा से बहार निकल कर आता है! जब जो चाहे किसी पर साम्प्रदापरयिकता का आरोप और खुद पर धर्मनिरपेक्षता का टैग लगा लेता है! लेकिन अगर राजनैतिक स्तर की बात किया जाये तो पाते है की वास्तव में धर्मनिरपेक्ष वही है जो तुष्टिकरण की राजनीति में परिपक्व है,और बहुसंख्यक समाज ले लोग को एक मर्यादित तरीके से गाली दे सके !लेकिन प्रश्न ये है की क्या कोई वास्तव में धर्मनिरपेक्ष हो सकता है ? अगर मै अपनी विचार प्रस्तुत करूँ तो, धर्मनिरपेक्ष शब्द का कोई अस्तित्व ही नही है मनुष्य के जीवन में क्योंकि मनुष्य धर्मं परायण तो जन्म से ही होता है ! अगर हम इस संसार में जन्म लिए है तो धार्मिक होना हमारी नैसर्गिक गुण के साथ साथ प्रकृति भी है, जिसे परिवर्तित नही किया जा सकता! लेकिन हमे जरुरत है तो धार्मिक से धर्मवान बनने की, और धर्मवान बनने के लिए (जैसा की हमारी संस्कृति और सभ्यता रहा है ) जरुरत है हिन्दुत्व की !!!
हमारी इस हिन्द की सभ्यता में अगर कोई सबसे उत्तम शब्द रहा है तो वह है हिन्दुत्व, जो वास्तव में धर्मनिरपेक्षता का मार्ग प्रसस्त करता है! हिन्दुत्व कोई संप्रदाय विशेष नही है अपितु हमारी संस्कृति और सभ्यता का मूल है ! यह जीवन शैली है, जो मनुष्यता के मार्गदर्शन के साथ साथ जीवन के सभी मूल्यों को प्रदान करता है ! हमारे देश का विभाजन संप्रदाय के नाम पर हुआ लेकिन मै इस विचार से पूर्ण रूप से असहमत हु और मानता हु की विभाजन सिर्फ कुछ लोग ( जिनपर आज भी महानता थोपा गया है) के राजनैतिक महत्वकान्छा और दिमागी दिवालियापन के कारन हुआ!
यह हिन्द,हिन्दुत्व का साम्राज्य है जहाँ सभी वर्गों के लोगो के साथ एक सामान व्योहार तथा सामान अधिकार प्रदान करता है ! यही हमारा हिन्दुत्व है ! हम हिन्द के सभ्यता के लोग है जहाँ हिन्दुत्व हमारी संस्कृति ,हिन्दुस्तान हमारा स्थान ,भाषा हिंदी और हम हिन्दू है! इस आधार पर हम सबको यह स्वीकार करना चाहिए की हमारा धर्मं मनुष्यता ही है, जो हिन्दुस्त्वा के रस्ते से ही प्रसस्त होता है और हमे हिन्दू कहलाने का गौरव प्राप्त होता है!
रुपेश राय
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